संस्थापक
"प. रामकिशोर त्रिपाठी जी.................
प्रबंधक
"शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना है...
प्रत्येक राष्ट्र अपनी विशिष्ट सांस्कृति - सामाजिक परम्पराओ एवं ऐतिहासिक मान्यताओं तथा परिदृश्यो को ध्यान मे रख कर अपनी शिक्षा निति तथा शिक्षा प्रणाली को विकसित करता है | शिक्षा प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य सुसंस्कृति उत्तरदायी मानव तथा आदर्श नागरिक का सृजन करता है शिक्षा मनुष्य का निर्माण तथा राष्ट्रीय नवसृजन का सशक्त माध्यम है शिक्षा से ही राष्ट्र अपनी अभिपुष्टि आकांक्षाओं की प्राप्ति करता है. शिक्षा संस्कार, गुण विषयगत ज्ञान तथा बौद्धिक सम्बोधन एवं दृष्टिसम्पन बनाकर मनुष्य को स्वविकास तथा लोक कल्याण एवं नव सामाजिक संरचना के लिए तैयार करती है हम ऐसी शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करने के लिए संकल्पिक है, जो बल केंद्रित, क्रिया आधरित, शिक्षक नियंत्रित एवं समाज पोषित हो | इस शिक्षा प्रणाली का निर्माण, पोषण एवं विकाश पूरी बस्ती के सभी नागरिको का प्रणाली का निर्माण, पोषण एवं विकाश पूरी बस्ती के सभी नागरिको का दायित्वा होगा चाहे उनके बच्चे इन विद्यालओं के विद्यार्धी हो या न हो | संस्थापक महोदय का मानना था शिक्षा मानवता का आधारभूत सिद्धांत है | आवश्यकता है कि सेवा भाव से ओत-प्रोत शिक्षकों और नागरिको पर शिक्षा का भार छोड़ा जाय | इन्ही सब कल्पनाओ को साकार करने हेतु अग्रसर है आपका अपना शिक्षा केंद्र महात्मा गाँघी स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय जियापुर, सैदखानपुर, कूरेभार, सुल्तानपुर जहाँ अध्यन की वैज्ञानिक सुख सुविधाओं के साथ गुणों के सम्वर्धन एवं व्यक्तिव विकास का अनुपम वातावरण है, जो व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के साथ साथ मातृभूमि की सेवा करने का संकल्प जगाता है |
महात्मा गाँघी स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना ब्रम्हलीन कर्मयोगी प. रामकिशोर त्रिपाठी जी द्धारा महात्मा गाँघी जी की १२५ वीं जयंती पर दिनाक २ अक्टूबर, १९९६ को जियापुर सैदखानपुर, कूरेभार, सुल्तानपुर में की गयी | इसके पश्चात १ जुलाई, १९९७ को डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से कला संकाय मे स्नातक और १ जुलाई, २००४ को परास्नातक स्तर पर संबंद्धता प्राप्त हुई | महाविद्यालय मे उत्तर प्रदेश शासन से स्वीकृत और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से अनुमोदित पाठ्यक्रम चलाये जाते है जिनका शिक्षण माध्यम अंग्रेजी व हिंदी है | महाविद्यालय शिक्षण सत्र १६ जुलाई १५ मई तक होता है |
भारतीय अधिष्ठान एवं जीवन मूल्यों के निर्माण मे कर्मयोगी प. रामकिशोर त्रिपाठी जी का यह लघु प्रयास सुल्तानपुर फैजाबाद मार्ग पर स्थिति कूरेभार बाजार से २ किमी. उत्तर दिशा मे वक्त मार्ग के पूर्वी व पश्चिमी छोर के अतिसूरम्य धरातल पर तत्कालीन क्षेत्र पंचायत कूरेभार प्रमुख श्रीं मती शोभावती के कर कमलो द्धारा स्थापिक महाविद्यालय के रूप मे स्थित है | इस विशाल भूखंड को जियापुर सैदखानपुर के तत्कालीन ग्राम प्रधान एवं नवयुवक मंगलदल के अध्यक्ष के असीम सहयोग से प्राप्त किया गया था |